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भूमि शुभ अशुभ की परीक्षा
- भूखण्ड के मध्य एक हाथ लम्बा-चौड़ा-गहरा गड्ढा खोद कर उसे पूरा पानी से भरकर सौ कदम द्रुतगति से चलकर लौट आए और उस गड्ढे को देखें। यदि वहां पानी चौथाई से कम रह गया हो तो अशुभ, चौथाई से अधिक और आधे से कम बचा हो तो मध्यम और यदि पानी आधे से अधिक बचा हो तो वह भूमि उत्तम समझनी चाहिए। कुछेक का मत है कि सूर्यास्त के समय इस गड्ढे को पानी से भरें और दूसरे दिन सूर्योदय के समय देखें। यदि वहां पानी कुछ भी शेष हो तो भूमि शुभ (धन-धान्य वृद्धिकारी),केवल कीचड़ ही हो तो मध्यम और यदि भूमि सूखी मिले तो उसे अशुभ (धन-धान्य नाश, मृत्यु देने वाली) समझें।
- भूखण्ड के मध्य एक हाथ लम्बा-चौड़ा गष्टा खेदकर उसे उसी (गड्ढे से निकाली गई) मिट्टी से भरकर देखें। यदि वह पूरी मिट्टी उसमें न समाए तो वह भूमि शुभ, पूरी समा जाए तो मध्यम, यदि उस मिट्टी से गड्डा पूरा न भरे तो उस भूमि को अशुभ समझें।
- एक हाथ लम्बे-चौड़े गड्ढे में चार दीपक पूर्वादि दिशाओं में जलाकर रखें। जिस दिशा का दीपक अधिकतम देरी तक जलता है उस दिशा के वर्ण (ब्राह्मण आदि) के लिए उस भूमि को निवासयोग्य समझना चाहिए।
- उपरोक्त गड्ढे में श्वेत, रक्त, पीत, कृष्ण रंग के चार फूल रखे। जिस रंग का फल नकुम्हलाए वह भूमि उस वर्ण के निवास के लिए शुभ मानी जाएगी। श्वेत, रक्त, पीत और कृष्ण रंग के फूल क्रमश: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र के माने गए हैं।