Bhumi Dosh

भूमि प्रकार( शुभ अशुभ)

भूमि की वास्तुशास्त्रानुसार शुभाशुभता का निर्णय करना भी आवश्यक है। भूमि के कुछ लक्षण जिनसे वह निवासयोग्य नहीं मानी जाती नदी के बहुत समीप स्थित, बड़े बड़े पत्थरों वाली, पहाड़ के शिखर पर स्थित, गड्ढोंवाली, नीरस, सर्प विच्छू आदि से व्याप्त, श्मशान भूमि, देव स्थान, वल्मीकयुक्त, चौराहे पर स्थित, महावृक्ष (पीपल, वट, प्लक्ष आदि) के समीपस्थ, गाँव-नगर से बहुत दूर स्थित भूखण्ड मकान बनाने के लिए अच्छे नहीं माने जाते।सदैव गर्म या ठण्डी रहने वाली भूमि, जहां वर्षा बहुत कम या बहुत ज्यादा होती हो, जहां गीध, गीदड़ रह रहे हों, नदी पूर्व की तरफ बहती हो, कांटेदार एवं फलरहित वृक्ष जहां स्थित हों, नदी का प्रवाह वामावर्त हो-ऐसा प्रदेश आवास के लिए शुभ नहीं माना गया हैl

झुकाव के अनुसार भूमि का शुभाशुभ फल

  1. पूर्व की तरफ झुकी जमीन वृद्धि करने वाली (धन-धान्य देने वाली),
  2. आग्रेय की ओर झुकी अग्नि से हानि देने वाली।
  3. दक्षिण की ओर झुको मृत्यु का कारण
  4. नैर्ऋती में झुकी धन हानिकर।
  5. पशिम में झुकी पुत्रनाशकारी।
  6. वायवी में झुकी प्रवास देने वाली।
  7. उत्तर में झुकी धन-धान्यप्रद।
  8. ऐशानी में झुकी विद्याप्रद।
  9. मध्य में झुकी अति अशुभ मानी गई है।

भूमि की उन्नति की दिशा से शुभाशुभ फल-:

  1. दक्षिण, नैर्ऋती, पश्चिम ओर वायव्य दिशाओं में उन्नत भूमि गजपृष्ठा कहलाती है। यह आयु, लक्ष्मी, धान्य देती है।
  2. मध्य में उन्नत और चारों दिशाओं में अवनत भूमि कूर्मपृष्ठा कहलाती है। यह उत्साह ओर धन-धान्य बढ़ाती है।
  3. पूर्व, आग्नेय ओर ईशान ऐशा, दिशाओं में उन्नत और पश्चिम में अवनत भूमि दैत्यपृष्ठा कही जाती है। यह धन, पशु, पुत्र आदि का नाश करती है।
  4. पूर्व ओर पश्चिम की ओर लम्बी और दक्षिण ओर उत्तर (दोनों ओर) उन्नत भूमि नागपृष्ठा कहलाती है। यह स्त्री-पुत्रहानि और शत्रुवृद्धि करती है।