Satyanarayan Pooja

सत्य नारायण पूजा और विधि

सत्य नारायण भगवान की पूजा वैसे तो किसी भी समय या किसी भी शुभ अवसर पर जैसे कि विवाह के बाद,जन्मदिवस पर,साल गिरह पर गृह प्रवेश आदि सुबह अवसर पर बिना किसी मुहर्त के करवाया जा सकता है लेकिन कई लोग इसे हर मॉस की पूर्णिमा और संक्रांति पर श्रद्धा पुर्वक पुरे साल या जीवन भर करते हैं। ये पूजा सबसे पहले नारद मुनि ने भगवान विष्णु से पूछा था कि कोई ऐसा जप-तप या अनुष्ठान बताए जिसके करने से मनुष्य थोड़ी सी ही पूजा मात्र करने से मनवांछित फल की प्रप्ति भी कर ले और इस नरक रूपी संसार से भी पार पाया जाए तब विष्णु भगवान बोले की ऐसी एक ही पूजा है जो की बहुत ही दुर्लभ है लेकिन इसकी पूजा विधि बहुत ही सरल और सुगम है जिसे हर कोई मनुष्य कर सकता है और उस पूजा का नाम सत्य नारायण पूजा है।

पूजा विधि

सत्य नारायण भगवान की पूजा दो प्रकार से कर सकते हैं

1. प्रथम विधि मैं व्रत करके इसमें यजमान पुरे दिन उपवास करता है और शाम को सुयोग्य पंडित जी के द्वारा और अपने बंधू भांडव(रिस्तेदार) को बुलाकर सत्यनारायण की विधि पुर्वक पूजा करता है फिर कथा सुनता है और आखिर में दशांग हवन करके पूजा कोप उरन करते हुए भगवान का भजन करते है फिर प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलता है इस प्रकार पूजा करनी वाले मनुष्य की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

2. दूसरी विधि के अनुसार सत्यनारायण भगवान की पूजा जातक बिना व्रत के भी कर सकता है और किसी भी समय पर कर सकता है इसमे जातक को पूजा शुरू होने से पहले स्नान करना होता है फिर वो भगवान् की पूजा करवा सकता है इसमें भी पूजा की सारी विधि प्रथम
वाली ही होगी लेकिन इसमें हवन करवाना जरुरी नहीं होता है अगर करवाते है तो अतिउत्तम ही होगा।

पूजा के लाभ

भगवान् सत्यनारयान की पूजा विशेष फलदाई होती है जिसमे न तो ज्यादा नियम होता है और ना ही ज्यादा खर्च होता है| इस पूजा से हमें कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते है जैसे मनवांछित कार्यो में सफलता,संतान प्रप्ति, व्यापार मे लाभ गृह दोष या वास्तु दोष आदि से शांति मिलती है।