शिवरात्रि
शिव पूजा सभी प्रकार के सुखों को देने वाली है और यह पूजा सभी अन्य पूजा से बहुत ही सरल और सुगम है बाबा भोले शंकर मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को समस्त प्रकार की सुखों से सुखी कर देते हैं इसलिए हर मनुष्य को बाबा भोलेनाथ की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
जो मनुष्य किसी तीर्थ में तीर्थ की मृत्तिका से शिवलिङ्ग बनाकर उनका हजार वार अथवा लाख वार अथवा करोड़ बार सविधि पूजन करता है, वह शिवस्वरूप हो जाता है।
जो मनुष्य तीर्थ में मिट्टी, भस्म, गोबर अथवा बालू का शिवलिङ्ग बनाकर एक बार भी उसका सविधि पूजन करता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है।
शिवलिङ्ग का सविधि पूजन करने से मनुष्य सन्तान, धन, धान्य, विद्या, ज्ञान, सद्बुद्धि, दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति करता है। जिस स्थान पर शिवलिङ्ग का पूजन होता है, वह तीर्थ न होने पर भी तीर्थ बन जाता है। जिस स्थान पर सर्वदा शिवलिङ्ग का पूजन होता है, उस स्थान पर जिस मनुष्य की मृत्यु होती है, वह शिवलोक को प्राप्त करता है। जो मनुष्य ‘शिव, शिव, शिव’ इस प्रकार सर्वदा कहता रहता है, वह परम पवित्र और परम श्रेष्ठ हो जाता है और वह धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति करता है। ‘शिव’ शब्द के उच्चारण मात्र से मनुष्य के समस्त प्रकार के पापों का नाश हो जाता है। अतः जो मनुष्य ‘शिव, शिव’ का उच्चारण करते हुए प्राणत्याग करता है, वह अपने करोड़ों जन्म के पापों से मुक्त होकर शिवलोक’ को प्राप्त करता है।
‘शिव’ शब्द का अर्थ ‘कल्याण’ है। अतः जिसकी जिह्वा पर अहर्निश कल्याणप्रद शिव का नाम रहता है, उस का बाह्य और आभ्यन्तर शुद्ध हो जाता है और वह शिवसायुज्य प्राप्त करता है।
ध्यान:-
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम् ।
पद्मासीनं समन्तात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥
अर्थात:-
चाँदीके पर्वतके समान जिनकी श्वेत कान्ति है, जो सुन्दर चन्द्रमाको आभूषणरूपसे धारण करते हैं, रत्नमय अलङ्कारोंसे जिनका शरीर उज्ज्वल है, जिनके हाथोंमें परशु, मृग, वर और अभय विद्यमान हैं, जो प्रसन्न हैं, जो पद्मके आसनपर विराजमान हैं, देवतागण जिनके चारों ओर खड़े होकर स्तुति करते हैं, जो बाघकी खाल पहनते हैं, जो विश्वके आदि, जगत्की उत्पत्तिके बीज और समस्त भयोंको हरनेवाले हैं, जिनके पाँच मुख और तीन नेत्र हैं, उन महेश्वरका प्रतिदिन ध्यान करे।