ॐ श्री गणेशाय नमः
गणेश पूजन सभी प्रकार की पूजा मे सर्वोपरि होती है ऐसा इसलिये कि एक तो इनको वरदान मिला हुआ है भगवान शिव के द्वारा सर्वप्रथम पूजा का यानि किसी भीपूजा में सबसे पहली गणेश पूजन होगा उसके बाद ही कोई अन्य पूजा हो सकती है और दूसरा कि ये ऐसे देवता हैं जो बहुत ही आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और मनवांछित फल देते हैं।
पूजन विधी
गणेश पूजा वैसे तो हम कभी भी और किसी भी प्रकार से कर सकते हैं पर इनकी पूजा विशेष तौर पर भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से पूर्णिमा तक बड़े ही धूम धाम से मनाने की परंपरा है। इस पूजन में यजमान सबसे पहले गणेश जीकी मूर्ति को अपने घर मै या जहाँ भी वो पूजा करना चाहता है जेसै पंडाल, मंदिर वहाँ पर लाता है फिर ब्राह्मणों के द्वरा पूजन शंकल्प कलश स्थापना गौरी गणेश, ॐ, श्रीलक्ष्मी, नवग्रह, वास्तु, षोडश मात्रिक, दस दिक्पाल का सोडषोपरकर से पूजन करता है तत्पश्चात गणेश जी के मूर्ति की परंपरटिस्ट करता है उसके बाद यजमान गणेश प्रतिमा को पद्यम(चरन धुलना) अर्ध्यम(हाथ धुलने) मुख अचमनयं(मुख धुलाने) स्नानं(स्नान करना) फिर दूध, दही, घी, सहद, बुरा और पंचामृत के वरा स्नान करके एक बार फिर जल से स्नान करते हैं इसके बाद हम गणपति जी को वस्त्र पहनते है फिर जनेऊ फिर उपवस्त्र फिर हम अनामिका ऊँगली से गणेश जी के मस्तक पर तिलक करते हैं फिर तिलक पर अक्षत(चावल) लगाते हैं फिर गणेश जी के वस्त्रो पर इत्र चढ़ाते हैं फिर उनका प्रिय दुब(घास) उनको अर्पण करते हैं फिर धुप दीप से उनकी आरती उतारते हैं इसके बाद यजमान को अपने हाथ धोकर गणेश जी को मोदक का भोग अर्पित करते हैं फिर पांच बार थोड़ा थोड़ा जल गणेश जी के आगे चढ़ाये फिर पाँच प्रकार क ऋतु फल चढ़ाये फिर ताम्बूल(पान सुपारी लौंग इलाइची) अर्पण करो फिर अपनी श्रद्धा के अनुसार गणेश जी को दक्छिड़ा चढ़ाया और प्रार्थना करो की हमसे पूजा उपरांत किसी भी प्रकार की भूल हुई हो उसे छमा करो और हमारी पूजा को ग्रहण करो, अब गणेश आरती की चार बार चरणो मैं 3 तीन बार पेट पर एक बार मुख पर और सात बार पूरे शरीर पर फिर गणेश जी पर पुष्प चढ़ाएं और प्रणाम करते हुये एक परिक्रमा करे, इस प्रकार आपने जितने दिनों का संकल्प किया है उतनी दिनों तक रोज़ इसी विधि के द्वारा पूजा करें और आखरी दिन यानि विसर्जन के दिन विशेष पूजन करते हुये हवन कराएं फिर मूर्ति विसर्जन करें, विसर्जन के समय गणेश जी से प्राथना करें की आप माता लक्ष्मी जी के साथ हमारी घर में सदा विराजमान रहें और हमें सुख समृद्धि दे ताकि हम अगले वर्ष फिर से इसी धूम धाम से आपका पूजन करें और आपसे आशीर्वाद प्राप्त करें हमसे जो भी पूजा उपरान्त भूल हुई हो उसे छमा कर दे।