श्रीगंगादशहरा
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी में दशहरा मनाया जाता है। इसमें पूर्वाह्न व्यापिनी दशमी तिथि ली जाती है। श्रीगंगावतारण के विषय में निर्णयसिन्धु का मत-
ज्येष्ठे मासि सिते पक्षे दशमी हस्तसंयुता ।
हरते दश पापानि तस्माद्दशहरा स्मृता ॥
हस्त नक्षत्र से युक्त ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि दस पापों को हरती है। अत: उसे ‘दशहरा’ कहते हैं। वराहपुराण में ऐसा लिखा है-
दशमी शुक्ल पक्षे तु ज्येष्ठे मासि कुजेऽहनि ।
अवतीर्णा यतःस्वर्गाद्धस्तःच सरिद्वरा ॥
ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि मंगलवार के दिन हस्त नक्षत्र में श्रीगंगाजी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई(पृथ्व पर आई) सो यह दस पापों को हरती हैं, अत: इसी को ‘दशहरा’ कहते हैं। कहीं कहीं बुधवार में गंगाजी का आगमन लिखा है सो यह कल्पभेदेन व्यवस्था है।
क्या कर्म करे
गंगा दशहरा के दिन अपने पितरों का यथा योग्य पित्र तर्पण करें अपने पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराएं एवं दान दक्षिणा देकर ब्राह्मणों का आशीर्वाद ग्रहण करें अगर संभव हो तो गंगा जी में जाकर स्नान, दान, तर्पण आदि शुभ कर्म करें।